सनातन धर्म की प्रशंसा करने में पहला वाक्य यदि यह लिखा जाए कि यह धर्म, विज्ञान और प्रबंधन का सर्वश्रेष्ठ संगम है, तो अतिशयोक्ति नहीं है या इसके विपरीत यह कहा जा सकता है कि 21वीं सदी में प्रबंधन के नाम पर जो कुछ गतिविधियां हो रही हैं, वह सनातन धर्म के ग्रंथों में पहले से ही साक्ष्य के रूप में मौजूद हैं। वेद ,पुराण, रामायण महाभारत ,श्रीमद् भागवत ,महापुराण और गीता जैसे धर्म ग्रन्थ हमारे मार्ग दर्शक रहे हैं। यही कारण है कि युगों पूर्व हुई और पश्चात होने वाली हर गतिविधि के दर्शन, परिणाम, सुझाव और उपाय आप सनातन धर्म में पा सकते हैं। अतीत में समय-समय पर देवी-देवताओं ने अलग-अलग युग में विभिन्न रूप लेकर मानव को मानवीय जीवन जीना सिखाया। भूत, वर्तमान और भविष्य के ज्ञाता भगवान् विष्णु ने भी सांसारिक लीलाओं को निभाकर मानव को नया जीवन दर्शन दिया।
त्रेता युग में रामावतार का उद्देश्य भी यही था,अन्यथा स्वयं विष्णु के अवतार श्रीराम को रावण का संहार करने में एक क्षण से भी कम समय लगता, लेकिन उन्होंने समस्त मानवीय लीलाएं कर हमें यह संदेश दिया कि एक पुत्र, एक राजा,एक पति और पिता के रूप में मानव का चाल चलन और चरित्र कैसा होना चाहिए। इसी तरह नारियों के अलग-अलग रूपों के साथ रामायण हमें स्त्री चरित्र और मर्यादा के भी दर्शन करवाती है। रामायण में विभिन्न चरित्रों द्वारा किए गए धर्म और मर्यादा उल्लंघन के दुष्परिणाम हमें इनसे बचने की सलाह देते हैं। 21वीं सदी में भी सभी हिन्दू धर्म ग्रन्थ आज भी प्रासंगिक हैं। इन ग्रंथों में देवी-देवताओं द्वारा निभाए गए चरित्र हमारा मार्गदर्शन करते हैं। अविश्वास से ग्रसित पीढ़ी रामायण पर केन्द्रित हो तो जानेगी कि हमारे जीवन की हर गतिविधि का प्रबंधन और समाधान इसमें मौजूद हैं।